दो लालची बुढ़िया की कहानी

दो लालची बुढ़िया

किसी गांव में दो बुढ़िया रहती थीं। दोनों अपनी-अपनी झोपड़ी में अकेली रहती थीं। पहली बुढ़िया का नाम रामो था और दूसरी का नाम सीतो। दोनों स्वभाव से बहुत लालची थीं।

एक दिन गांव के पास से एक संत गुजरे। उन्होंने गांव वालों को आशीर्वाद दिया और कहा, "जो मुझसे सच्चे मन से वरदान मांगेगा, उसकी इच्छा पूरी होगी।" यह बात सुनकर दोनों बुढ़ियाएं संत के पास गईं।

रामो ने कहा, "मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरे पास बहुत सारा धन हो।


संत ने कहा, "तुम्हारी इच्छा पूरी होगी, लेकिन तुम्हारी पड़ोसी सीतो को तुम्हारे धन का दोगुना मिलेगा।" यह सुनकर रामो चुप हो गई और सोचने लगी, "अगर मुझे धन मिला और सीतो को मुझसे ज्यादा मिला, तो मैं उसे देखकर जलूंगी।"

दूसरी तरफ, सीतो ने भी सोचा कि वह वरदान मांगेगी, लेकिन यह जानकर कि रामो को उसका आधा मिलेगा, उसने भी वरदान मांगने से मना कर दिया। दोनों बुढ़ियाएं अपनी लालच में इतनी अंधी थीं कि किसी ने संत से वरदान नहीं लिया।

संत यह देखकर मुस्कुराए और बोले, "लालच हमेशा नुकसान करता है। अगर तुम दोनों ने समझदारी से सोचा होता, तो तुम्हारे जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती थी। लेकिन तुमने एक-दूसरे को नीचे गिराने की सोची और खुद कुछ नहीं पाया।"

यह सुनकर दोनों बुढ़ियाओं को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

शिक्षा:
लालच और ईर्ष्या से बचना चाहिए। दूसरों का भला सोचने से ही हमारा भला होता है।

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